कुंडली में अल्पायु योग (Kundli Mein Alpayu Yog)
किसी भी जातक की कुंडली भूत, वर्तमान एवं भविष्य का दर्पण होती है। कुंडली में बैठे ग्रहों को देखकर यह जाना जा सकता है कि जातक अपने जीवन में क्या-क्या सुख और दुख भोगेगा। कुंडली में ग्रहों की स्थिति से जातक की आयु की पूर्ण जानकारी प्राप्त की जा सकती है। ज्योतिष में किसी की भी मृत्यु-तिथि निकलना वर्जित है। किसी अल्पायु जातक की सही आयु बता कर उसकी मृत्यु को उपाय द्वारा टालने की कोशिश करना विधि के काम में दखल देना ही होता है। एक अच्छा कुंडली विशेषज्ञ इस विषय को इशारों से बताता तो है परन्तु फिर भी इस को खुल कर कभी नहीं बोलता। जन्म-कुंडली से जातक के मारकेश को समझकर कर जातक की आयु का अंदाजा लगाया जा सकता है। जैसे कुंडली में अल्पायु के कुछ योग निम्नलिखित प्रस्तुत हैं परन्तु ये योग शुभ योगों की दृष्टि या प्रभाव से कट भी जाते हैं, इसलिए कुंडली विशेषज्ञ को लग्न-कुंडली तथा नवमांश को बहुत सावधानी से देख कर ही अंतिम नतीजे पर पहुंचना चाहिए। किसी भी जातक की कुंडली का आठवां भाव उसकी आयु का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अतिरिक्त आठवें भाव का अष्टम होने से तीसरा भाव भी आयु को ही दर्शाता है। तो आइए जानते हैं ज्योतिष की दृष्टि से कैसे अल्पायु योग निर्मित होता है।
- यदि कुंडली में शनि तुला के नवांश में हो और उस पर गुरु की दृष्टि हो तो बालक १३ वर्ष की आयु तक जीता है।
- यदि कुंडली में शनि वक्री हो और राहु के साथ १२ वें भाव में हो तो १३ वर्ष की आयु होती है।
- यदि कुंडली में बृहस्पति के नवांश में स्थित शनि पर राहु की दृष्टि हो और लग्नेश पर शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो बालक अल्पायु होता है।
- यदि कुंडली के आठवें भाव का स्वामी छठे या बारहवें स्थान पर बैठ जाए तो आयु खंड को कमजोर करता है।
- यदि कुंडली में लग्न भाव में लग्नेश के साथ सूर्य भी बैठा हो और साथ ही उस पर किसी पापी ग्रह की दृष्टि पड़े तो भी व्यक्ति की आयु कम हो जाती है।
- यदि कुंडली में शनि द्विस्वभाव राशिगत होकर लग्न में हो, द्वादशेश व अष्टमेश केंद्र में हो और लग्नेश बलहीन हो तो ३० से ३२ की वर्ष आयु होती है।
- यदि कुंडली में लग्नेश व अष्टमेश अष्टमस्थ हो व उनके साथ पाप ग्रह हो तो जातक की आयु २७ वर्ष की होगी।
- यदि कुंडली में सभी पापी ग्रह, राहु, केतु, शनि और मंगल कुंडली के ३, ६ और १२वें भाव में हो तो जातक अल्पायु होगा।
- यदि कुंडली में २ और ११वें भाव में पाप ग्रह और लग्नेश कमजोर अवस्था में बैठा हो तो जातक की आयु कम रह जाती है।
- यदि कुंडली में सूर्य, चंद्र व शनि अष्टम भाव में हो और उन पर पाप ग्रह की दृष्टि भी हो तो २९ वर्ष की आयु होगी।
- यदि कुंडली में क्रूर ग्रहों से घिरा सूर्य लग्नस्थ हो तो ३१ वर्ष की आयु होगी।
- यदि कुंडली में लग्नेश चंद्रमा अस्त हो या ग्रहण दोष बना हो तो जातक बहुत ही कम आयु का होता है।
- यदि कुंडली में लग्नेश निर्बल हो और उस पर सभी पापी ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो और केन्द्र में सभी पापी ग्रह बैठे हों, इसके अतिरिक्त किसी भी शुभ ग्रह की दृष्टि उन पर ना पड़ रही हो तो ऐसा जातक निश्चित रूप से अल्पायु होगा।
- यदि कुंडली में सूर्य लग्न में शत्रु राशि में हो, पाप ग्रहों से घिरा हो और गुरु मिथुन राशि में अष्टम भाव में हो तो ३७ वर्ष की आयु होगी।
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ज्योतिष आचार्या
ममता वशिष्ट
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
कालका ज्योतिष अनुसन्धान संसथान
Hi mam
my name is sudhakar mishra . I am from bihar.my date of birth – 03/november/1985 time of birth 10pm at bettiah in west champaran bihar . I want to know about my age yoga . Is it short life in my kundali or not. What is remedy.
Please ma’am guide me . I will be grateful for your kind suggestion.
mail me @ kalkajyotish@gmail.com
Good
Thanks alot