कुंडली से जाने वाहन सुख योग (Kundli Se Jane Vahan Sukh Yog)

          आज के तेज तरार समाय में हर व्यक्ति एक अच्छी सी गाड़ी का स्वप्न देखता है। नए से नया वाहन लेना यह हरेक का सपना होता है मगर क्या चाहने भर से या केवल सपना देखने से वाहन सुख मिलता है। कुछ ही लोगों का ही यह स्वप्न साकार होता है। यहाँ जन्म कुंडली में कई शुभाशुभ योग बनते हैं वहीँ वाहन सुख का योग भी कुंडली से जाना जा सकता है। वाहन सुख जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव से देखा जाता है। चतुर्थ भाव से भूमि, संपत्ति, मातृसुख, सुख-शांति, आत्मा की पवित्रता आदि भी देखी जाती है। वाहन का कारक शुक्र है। कुंडली में चतुर्थ भाव, चतुर्थेश एवं शुक्र की स्थिति उत्तम होने से वाहन की प्राप्ति होती है। चतुर्थ भाव के कारक ग्रह चंद्र तथा बुध हैं। यदि इनकी स्थिति भी कुंडली में उत्तम हो तो अच्छा लाभ रहेगा। आइए कुछ वहां सुख के योगों के बारे में जानते हैं।

  • यदि चतुर्थ भाव शक्तिशाली हो, शुक्र की राशि हो या शुक्र की दृष्‍टि में हो तो नया व मनचाहा वाहन प्राप्त होता है।
  • यदि चतुर्थ भाव का भावाधिपति पंचम में व पंचम भाव का स्वामी चतुर्थ में हो तो वाहन प्राप्ति होगी।
  • यदि चतुर्थ भाव में शनि की राशि हो और शनि यदि नीचस्थ या पाप प्रभाव में हो तो पुराना (सेकंडहैंड) वाहन मिलता है।
  • यदि चतुर्थ का स्वामी लग्न, दशम या चतुर्थ में हो तो माता-पिता के सहयोग से, उनके नाम का वाहन मिलता है।
  • यदि चतुर्थ का स्वामी लाभ भाव में बैठा हो एंव लग्न में शुभ ग्रह बैठे हो तो छोटी उम्र में ही वाहन सुख मिल जाता है।
  • यदि चतुर्थ भाव का स्वामी लग्नेश के घर में हो तथा लग्नेश चतुर्थेश के भाव में हो तो जातक को अच्छे वाहन के सुख की प्राप्ति होगी।
  • यदि द्वितीय भाव का स्वामी लग्न में हो, दशमेश धन भाव में हो और चतुर्थ भाव में उच्च राशि का ग्रह हो तो उत्तम वाहन मिलता है।
  • यदि चतुर्थ भाव का स्वामी कमजोर हो तो वाहन सुख या तो नहीं मिलता या फिर दूसरे का वाहन चलाने को मिलता है।
  • यदि चतुर्थ भाव का स्वामी युवावस्था में हो तो वाहन सुख जल्दी मिलता है।
  • यदि चतुर्थ भाव का स्वामी उच्च राशि में शुक्र के साथ हो तथा चैथे भाव में सूर्य स्थित हो तो जातक को लगभग ३० वर्ष की आयु में वाहन सुख मिल जाता है।
  • यदि चतुर्थ भाव का स्वामी वृद्ध हो तो वाहन सुख देर से मिलता है।
  • यदि चतुर्थ भाव के स्वामी का सम्बन्ध शनि के साथ हो या शनि व शुक्र की युति हो या शुक्र पर राहु की दृष्टि हो तो वाहन बहुत संघर्ष के बाद प्राप्त होता है।
  • यदि लग्नेश, चतुर्थेश व नवमेश परस्पर केंद्र में हों तो वाहन सुख की प्राप्ति होती है।
  • यदि चतुर्थ भाव तथा नवम भाव के स्वामी लग्न भाव में बैठे हों है तो जातक को वाहन सुख मिलता है।
  • यदि चतुर्थ भाव बलवान हो, शुक्र का लाभेश के साथ सम्बन्ध हो तथा पंचम भाव में गुरू बैठा हो तो जातक को कई प्रकार के वाहनों का सुख मिलता है।

 

          क्या अपने कभी सोचा है के कोई बच्चा पैदा होता है तो उसे गाड़ी, बंगला अदि सब विरासत में ही प्राप्त हो जाता है। कई व्यक्ति परिश्रम करके वाहन सुख प्राप्त करते हैं। कई व्यक्ति विवाह के उपरांत तो कई बुढ़ापे में वाहन सुख प्राप्त करते हैं। यह सब हमारी कुंडली में बैठे ग्रहों के योग एवं भाव की शुभता अदि से होता है। आप भी किसी विशेषज्ञ की सहायता से अपने जीवन में वाहन सुख के समय की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

 

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संपर्क सूत्र : kalkajyotish@gmail.com

 

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ज्योतिष आचार्या
ममता वशिष्ट
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
कालका ज्योतिष अनुसन्धान संसथान

4 thoughts on “कुंडली से जाने वाहन सुख योग (Kundli Se Jane Vahan Sukh Yog)

  1. Mera naam Santosh Singh he date of birth 12 _12 1983 he samay raat 12 bajkar 15 m he Kya me wahan apne naam per le sakta hu ya Chala sakta hu

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