“रेखाओं का खेल ही है मुकद्दर, रेखाओं से मात खा रहे हो”

कई महापुरषों ने कहा है के हमारी किस्मत हमारे हाथ में ही होती है। यह किस्मत हाथ की उन रेखाओं में समाई हुई है जो समय के साथ बदलती रहती हैं। हथेली की रेखाओं को पढ़ कर भविष्य बताने की कला को हस्तरेखा अध्ययन या हस्तरेखा शास्त्र कहा जाता है। जो हस्तरेखा पढ़ते हैं, उन्हें आम तौर पर हस्तरेखा विश्लेषक, हाथ पढ़ने वाला या हस्तरेखा शास्त्री भी कहा जाता है। इस विद्या का प्रयोग दुनिया भर में कई विद्वानों एवं ज्योतिषियों के द्वारा भी किया जाता है। हस्तरेखा शास्त्र में किसी भी वयक्ति का हाथ पढ़कर उसके चरित्र या भविष्य के जीवन का मूल्यांकन किया जाता है। हस्त रेखा विज्ञान बेहद प्राचीन पद्धति है। प्राचीन वेदों में भी हाथ देखकर भविष्य की गणना करने के प्रमाण मौजुद हैं। सबसे अधिक प्रभावी और विस्तृत रूप से हस्त रेखा विज्ञान का वर्णन सामुद्रिक शास्त्र में पाया गया है। हस्त रेखा शास्त्र में कई तरह की रेखाओं के बारे में सूक्षमता से बताया गया है।

हस्तरेखा शास्त्र में उंगलियों, नाखूनों, उंगलियों के निशान, हथेली की त्वचा की बुनावट व रंग, आकार, हथेली के आकार हाथ का लचीलापन अदि का बहुत सूक्ष्मता अधययन करना पडता हैं। एक हस्तरेखा शास्त्री आमतौर पर व्यक्ति के ‘प्रमुख हाथ’ (मेल का दायां हाथ और फीमेल का बयां हाथ ) को ही देखता है क्यूंकि हस्तरेखा विज्ञान की कुछ परंपराओं में दूसरे हाथ को वंशानुगत या परिवार के लक्षणों को धारण किया हुआ या पूर्व जनम के कर्मो पर आधारित माना जाता है, जिससे अतीत के जीवन या पूर्व जन्म की शर्तों के बारे में जानकारी मिलती है।

लगभग सभी हाथों में आम तौर पर तीन रेखाएं पाई जाती हैं और हस्तरेखा शास्त्री इन पर सबसे ज्यादा जोर देते हैं।

 

हृदय रेखा – Heart Line :

बड़ी रेखाओं में हृदय रेखा को हस्तरेखा शास्त्री सबसे पहले जांचता है। यह हथेली के ऊपरी हिस्से और उंगलियों के नीचे होती है। कुछ परंपराओं में, यह रेखा छोटी उंगली के नीचे हथेली के किनारे से और अंगूठे की तरु पूरी हथेली तक पढ़ी जाती है। दूसरों में, यह उंगलियों के नीचे शुरू होती है और हथेली के बाहर के किनारे की ओर बढ़ती देखी जाती है। हस्तरेखा शास्त्री इस पंक्ति की व्याख्या दिल के मामलों के संबंध में करते हैं, जिसमें शारीरिक और लाक्षणिक दोनों शामिल होते हैं और विश्वास किया जाता है कि दिल की सेहत के विभिन्न पहलुओं के अलावा यह भावनात्मक स्थिरता, रुमानी दृष्टिकोण, अवसाद व सामाजिक व्यवहार प्रदार्शित करती हैं।

  • यदि किसी व्यक्ति की यह रेख लम्बी हो तो वह मनुष्य खुले हृदय वाला होता है।
  • यदि यह रेखा शोटी रह जाये तो व्यक्ति केवल अपने ऊपर धेयान देने वाला होता है।
  • यदि यह रेखा शोटी तो हो परन्तु सीधी हो तो व्यक्ति रोमांटिक स्वाभाव का नहीं होता l
  • यदि हृदय रेखा का आरंभ गुरु पर्वत से हो तो व्यक्ति बहुत ही धार्मिक, दयालु और जिम्मेदार होते हैं।
  • यदि हथेली में हृदय रेखा के नीचे स्टार का चिन्ह हो तो धन का नुकसान होता है और धन जीवन में अधिक टिकता नहीं है।
  • यदि किसी स्त्री के हाथ में हृदय रेखा का आरंभ सूर्य पर्वत से हो तो वह भरोसे के लायक नहीं होती। ऐसी स्त्री अपने स्वार्थ के लिए कोई भी कदम उठा सकती है।
  • यदि व्यक्ति के हाथ में गहरी और स्पष्ट हृदय रेखा हो जो कि तर्जनी, मध्यमा, गुरु या शुक्र पर्वत पर खत्म हो रही हो तो जातक जीवन में अपार सफलता हासिल होती है और प्रेम संबंधों में कामयाबी मिलती है।
  • यदि यह रेखा बहुत अधिक लम्बी हो जाये तो यह रेखा हथेली के दोनों किनारों तक पहुँच जाती है ऐसे में व्यक्ति अपने के ऊपर निर्भर करने वाला होता है।
  • यदि हथेली में हृदय रेखा का आरंभ गुरु और शनि पर्वत के बीच से होता है उनमें कामुकता प्रबल होती है। ऐसे लोग किसी से भी प्रेम का इजहार जल्द ही कर देते हैं लेकिन इनसे प्रेम में सच्चाई कम वासना अधिक होती है।
  • यदि यह रेखा जंजीरनुमा होकर शनि और गुरु पर्वत के बीच से शुरू हो रही हो और साथ ही शुक्र पर्वत अधिक उभरा हुआ हो तो व्यक्ति का चरित्र संतुलित नहीं रह पाता है। ऐसे लोग विपरीत लिंग के व्यक्ति को अपनी ओर आकर्षित करने लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं। ऐसे लोग अधिक शक करने की आदत से वैवाहिक जीवन में भी परेशानी उठाते हैं।
  • यदि किसी व्यक्ति के हाथ में हृदय रेखा का अंत तर्जनी या मध्यमा के मूल यानि नीचे की तरफ झुका हो उनपर प्यार के मामलों में भरोसा नहीं करना चाहिए। ऐसे पुरुष या स्त्री बेहद कामुक और बेवफाई के भावों से युक्त होते हैं।

 

मस्तिष्क रेखा – Head Line :

हस्तरेखा शास्त्री द्वारा पहचान की जाने वाली अगली रेखा मस्तिष्क रेखा है। यह रेखा तर्जनी उंगली के नीचे से शुरू होकर हथेली होते हुए बाहर के किनारे की ओर बढ़ती है। अक्सर मस्तिष्क रेखा शुरुआत में जीवन रेखा के साथ जुड़ी होती है।हस्तरेखाविद् आम तौर पर इस रेखा की व्याख्या व्यक्ति के मन के प्रतिनिधि कारकों के रूप में करते हैं और जिस तरह से यह काम करती है, उनमें सीखने की शैली, संचार शैली, बौद्धिकता और ज्ञान की पिपासा भी शामिल होती है। माना जाता है कि यह सूचना के प्रति रचनात्मक या विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण की प्राथमिकता (यानी, दाहिना दिमाग या बांया दिमाग) का संकेतक होती है।

  • अगर रेखा हल्की और अंत में अंग्रेजी का वी आकार की हो तो यह व्यक्ति के विचारों के भटकाव को दर्शाती है।
  • यदि यह रेख अधिक लम्बी एवं सीदी हो तो व्यक्ति बहुत उलझे व्यक्तित्व का होता है।
  • यदि यह रेख लम्बी हो तो व्यक्ति अच्छी समरण शक्ति वाला होता है एवं किसी भी कार्य को अच्छी तरह से सोच समझ कर करने वाला होता है।
  • यदि यह रेख असमान्य रूप से अधिक लम्बी हो तो हथेली के दोनों किनारो तक पहुँच जाती है। ऐसे में व्यक्ति बहुत साहसी और हर कार्य में सफल परन्तु स्वार्थी भी होते है।
  • यदि यह रेख कर्व आकार की हो तो व्यक्ति आदर्श वादी नीति का, क्रिएटिव और नए विचार को ग्रहण करने में ना घबराने वाला होता है।
  • यदि मस्तिष्क रेखा बेहद स्पष्ट एवं बिना किसी सहायक रेखा द्वारा क्रॉस और सीधी खत्म होने वाली हो तो यह व्यक्ति के जीवन में उच्च शिक्षा प्राप्ति के योग बनाती है।
  • यदि मस्तिष्क रेखा हाथ पर कहीं झुकी हुई है यानि ऊपर की बजाय नीचे की तरफ जाए तो यह पागलपन की निशानी होती है।
  • यदि मस्तिष्क रेखा हो कटी फटी हो या जंजीरनुमा हो तो व्यक्ति के लिए धन संभालकर रखना बहुत कठिन होता है। ऐसे लोगों के पास धन आने से पहले ही खर्च करने की योजना बन जाती है जिससे धन का संचय करना कठिन होता है।
  • यदि मस्त‌िष्क रेखा का स‌िरा दो भागों में बंटा हुआ हो, हथेली में मंगल पर्वत ऊंचा हो और कन‌िष्ठा उंगली लंबाई लिए हो तो यह संकेत करता है क‌ि व्यक्त‌ि राजयोग लेकर पैदा हुआ है और सरकारी क्षेत्र में उच्च पद और लाभ प्राप्त कर सकता है।

 

जीवन रेखा – Life Line :

हस्तरेखा शास्त्री तीसरे पायदान पर संभवत: सबसे विवादास्पद रेखा-जीवनरेखा को देखते हैं।
यह रेखा अंगूठे के ऊपर हथेली के किनारे से निकलती है और कलाई की दिशा में गोलाई लिए हुए मणिबन्ध की और बढ़ती है। माना जाता है कि यह रेखा व्यक्ति की आयु, ऊर्जा और शक्ति, शारीरिक स्वास्थ्य और आम खुशहाली का प्रतिनिधित्व करती है। ऐसा भी माना जाता है कि जीवन रेखा दुर्घटनाओं, शारीरिक चोट, पुनर्स्थापन सहित जीवन में आने वाले बदलावों को प्रतिबिंबित करती है। आम धारणा के विपरीत, आधुनिक हस्तरेखा शास्त्री आम तौर पर यह विश्वास नहीं करते कि एक व्यक्ति की जीवन रेखा की लंबाई के व्यक्ति की उम्र से जुड़ी हुई है।

  • यदि जीवन रेखा लंबी, पतली, गहरी, और साफ हो तो शुभ होती है। जीवन रेखा पर क्रॉस का चिन्ह सदैव अशुभ होता है। यदि जीवन रेखा शुभ है तो व्यक्ति की आयु लंबी होती है।
  • यदि मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा के मध्य अधिक अंतर हो तो व्यक्ति बिना सोच-विचार के कार्य करने वाला होता है।
  • यदि मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा के मध्य थोड़ा अंतर हो तो व्यक्ति स्वतंत्र विचारों वाला होता है।
  • यदि चन्द्रपर्वत से चलकर कोई रेखा जीवनरेखा से मिल रही है तो इसका समझ लें कि व्यक्ति के पास जीवन के अंतिम समय में खूब पैसा होगा परन्तु मृत्यु घर से दूर होगा।
  • यदि दोनों हाथों में जीवन रेखा टूटी हुई हो, तो व्यक्ति को मृत्यु समान कष्टों का सामना करना पड़ सकता है।
  • यदि एक हाथ में जीवन रेखा टूटी हो और दूसरे हाथ में यह रेखा ठीक हो, तो यह किसी गंभीर बीमारी या बदलाव को दर्शाती है।
  • यदि जीवनरेखा के मध्य में काला तिल हो तो यह आयु एवं धन के संदर्भ में अच्छा नहीं होता। अनावश्यक व्यय के कारण व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में उतार-चढाव बना रहता है।
  • यदि किसी व्यक्ति के हाथ में जीवन रेखा श्रृंखलाकार या अलग-अलग टुकड़ों से जुड़ी हुई या बनी हुई हो तो व्यक्ति निर्बल हो सकता है। ऐसे लोग स्वास्थ्य की दृष्टि से भी परेशानियों का सामना करते हैं। ऐसा विशेष रूप से तब होता है, जब हाथ बहुत कोमल हो। जब जीवन रेखा के दोष दूर हो जाते हैं तो व्यक्ति का जीवन सामान्य हो जाता है।
  • यदि जीवन रेखा से कोई शाखा शनि पर्वत के क्षेत्र की ओर उठकर भाग्य रेखा के साथ-साथ चलती दिखाई दे तो इसका अर्थ है कि व्यक्ति को धन-संपत्ति का लाभ मिलेगा । ऐसी रेखा के प्रभाव से व्यक्ति को सुख-सुविधाओं की वस्तुएं भी प्राप्त होती है।
  • यदि जीवन रेखा को कई छोटी-छोटी रेखाएं काटती हुई नीचे की ओर जाती हो तो ये रेखाएं व्यक्ति के जीवन में परेशानियों को दर्शाती हैं। यदि इस तरह की रेखाएं ऊपर की ओर जा रही हों तो व्यक्ति को सफलता प्राप्त होती है।
  • यदि जीवनरेखा से छोटी-छोटी रेखाएं ऊपर की ओर जा रही हैं तो इसका मतलब है कि व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में अपनी मेहनत और प्रयास से अधिक लाभ मिलता रहेगा।
  • यदि जीवन रेखा, हृदय रेखा और मस्तिष्क रेखा तीनों प्रारंभ में मिली हुई हो तो व्यक्ति भाग्यहीन, दुर्बल और परेशानियों से घिरा होता है।
  • यदि जीवन रेखा से कोई शाखा गुरु पर्वत के क्षेत्र की ओर उठती दिखाई दे या गुरु पर्वत में जा मिले तो इसका अर्थ है कि व्यक्ति को कोई बड़ा पद या व्यापार-व्यवसाय में तरक्की प्राप्त होगी ।
  • यदि जीवन रेखा गुरु पर्वत से प्रारंभ हुई हो तो व्यक्ति अति महत्वाकांक्षी होता है और अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
  • जब टूटी हुई जीवन रेखा शुक्र पर्वत के भीतर की ओर मुड़ती दिखाई देती है तो यह अशुभ लक्षण होता है। ऐसी जीवन रेखा बताती है कि व्यक्ति को किसी बड़े संकट का सामना करना पड़ सकता है।
  • यदि जीवन रेखा अंत में दो भागों में विभाजित हो गई हो तो व्यक्ति की मृत्यु जन्म स्थान से दूर होती है।
  • यदि दोनों हाथों में जीवन रेखा बहुत छोटी हो तो वह व्यक्ति अल्पायु हो सकता है। जीवन रेखा जहां-जहां श्रृंखलाकार होगी, उस आयु में व्यक्ति किसी बीमारी से ग्रसित हो सकता है।
  • यदि जीवन रेखा पर यव का चिन्ह हो तो जीवन में कई तरह के कष्ट भोगने पड़ते हैं। यदि जीवनरेखा के अंदर की ओर यव चिन्ह आ रहा हो तो यह पेट संबंधी रोगों का संकेत है और करोबार में उधार दिया गया पैसा डूब सकता है।
  • यदि जीवन रेखा पर वर्ग का चिन्ह हो तो यह व्यक्ति के जीवन की रक्षा करता है। आयु के संबंध में जीवन रेखा के साथ ही स्वास्थ्य रेखा, हृदय रेखा, मस्तिष्क रेखा और अन्य छोटी-छोटी रेखाओं पर भी विचार किया जाना चाहिए।
  • यदि हथेली में दो जीवनरेखाएं हों तो व्यक्ति सौभाग्यशाली होता है। धन और सुख भी इनका उम्र के साथ बढ़ता रहता है। ऐसे लोगों को जीवन में कम संकटों का सामना करना पड़ता है और भाग्य इन्हें जीवन में हर क्षेत्र में सफलता प्रदान करता है। ऐसे व्यक्ति को सुंदर और सुयोग्य जीवनसाथी एवं संतान की प्राप्ति होती है।

 

हथेली में अन्य रेखाएं – Other Lines in Palm :

 

भाग्य रेखा – Fate Line :

भाग्य रेखा कलाई के पास हथेली के निचले हिस्से (मणिबंध) से प्रारंभ होती है और हथेली के केन्द्र से होते हुए मध्य उंगली की ओर जाती है। यह रेखा भाग्य, कैरियर के चयन, सफलताओं और बाधाओं सहित व्यक्ति के जीवन-पथ से जुड़ी होती है। भाग्य रेखा का उद्गम स्थान मणिबंध के अतिरिक्त चंद्र पर्वत, शुक्र पर्वत, राहु पर्वत, मंगल पर्वत, जीवन रेखा, सूर्य रेखा, मस्तिष्क रेखा, हृदय रेखा अदि। रेखा का उद्गम स्थान इसके गुण, दोष, लाभ, हानि, विशेषताएं अदि के संकेत देती है। जिससे व्यक्ति के भाग्य का सटीक आंकलन किया जा सकता है।

  • यदि यह रेखा सरल रूप में हो तो व्यक्ति बहुत सौभाग्यशाली होता है।
  • जिस बिन्दु पर भाग्य रेखा को कोई रेखा काटती है उस वर्ष मनुष्य को भाग्य या धन की हानि होती है।
  • यदि हथेली में भाग्यरेखा अगर एक से अधिक हो तो ऐसे व्यक्ति बहुत ही गुणवान और महान होते हैं।
  • यदि दोनों हथेली में भाग्य रेखा एक जैसी हो तो व्यक्ति अपने पैतृक कारोबार में आगे बढ़ते हैं और सफल होते हैं।
  • यदि भाग्यरेखा पर वर्ग चिन्ह का हो तो व्यक्ति का भाग्य बलवान होता है। ऐसे व्यक्ति धनवान होते हैं और इन्हें आर्थिक नुकसान कम सहना पड़ता है।
  • यदि कोमल एवं गुलाबी हथेली में एक से अधिक भाग्यरेखा हो और मस्तिषक रेखा भी अच्छी हो तो व्यक्ति के पास धन कमाने के कई रास्ते होते है।
  • यदि दोनों हथों में भाग्यरेखा आकर हृदय रेखा पर रुक जाए और मस्तिष्क रेखा से एक मोटी रेखा आकर हृदय रेखा को छूए तो यह वैवाहिक जीवन के सुख के लिए अच्छा नहीं माना माना जाता है।
  • यदि यह रेखा टूटी हुई हो तो व्यक्ति का भाग्य बहुत मुश्किलों से भरा हुआ होता है। टूटी रेखाएं जीवन में भाग्य के समय-समय पर साथ छोड़ देने की निशानी बताएं गए हैं।
  • यदि भाग्य रेखा या सहायक रेखा मणिबंध से निकलकर मध्यमा अंगुली के दूसरे पोर तक जा रही हो तो व्यक्ति को जीवन में आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है।
  • यदि हथेली में जंजीरनुमा भाग्यरेखा मस्तिष्क रेखा पर आकर रुक जाए हो तो यह भाग्य के मामले में प्रतिकूल होने के साथ ही आर्थिक मामलों में भी ठीक नहीं होता।
  • यदि भाग्य रेखा जगह-जगह से टूटी हुई हो और शनि पर्वत से मणिबंध तक भी तो भी इसका खास महत्व नहीं होता।
  • यदि भाग्य रेखा मस्तिष्क रेखा से प्रारम्भ हो तो बहुत अच्छा माना जाता है। ऐसे व्यक्ति अपनी बुद्धि एवं ज्ञान से खूब तरक्की करते हैं। भाग्य रेखा के साथ कुछ और रेखाएं भी चल रही हों तो व्यक्ति अनेक क्षेत्रों से लाभ पाता है।
  • यदि हथेली का रंग कालापन लिए हो और भाग्यरेखा टेढ़ी-मेढ़ी भी हो तो मस्तिष्क रेखा से निकलने पर भी भाग्यरेखा बहुत साथ नहीं देती व्यक्ति को जीवन में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
  • यदि भाग्य रेखा जीवनरेखा से दूर हो और शुरू में मोटी लेकिन आगे बढ़कर पतली हो जाए साथ ही हथेली के सभी पर्वत उठे हुए हों तो व्यक्ति जीवन में बड़ी कामयाबी प्राप्त करता है साथ ही कई स्रोतों से धन लाभ पाता है।
  • यदि हथेली में बुध क्षेत्र का स्थान दबा हो और भाग्य रेखा काफी मोटी हो साथ ही उस पर द्वीप का निशान भी बना हो तो यह दांपत्य जीवन में वियोग का सूचक होता है। अगर इनमें से केवल एक ही बात हथेली में हो तब भी आपस में तालमेल की कमी रहती है और अक्सर विवाद होने पर भी साथ बना रहता है।
  • यदि भाग्यरेखा अगर मस्तिष्क रेखा पर आकर ठहर जाए तो व्यक्ति को संतान सुख में परेशानी आती है। ऐसे व्यक्तियों को परिवार से पूरा सहयोग नहीं मिल पाता है साथ ही अपने निर्णयों के कारण कई बार इन्हें नुकसान उठाना पड़ता है।
  • यदि शन‌ि पर्वत पर त्र‌िशूल का न‌िशान हो और हथेली में भाग्य रेखा को चन्द्र पर्वत से आती रेखा छू रही हो तब इसका प्रभाव और बढ़ जाता है। ऐसा होने पर व्‍यक्ति अपने क्षेत्र में बहुत बड़ा अधिकारी बनता है और मान-सम्मान प्राप्त करता है।

 

सूर्य रेखा – Sun Line :

यह रेखा सभी व्यक्तियों के हाथेली में नहीं पाई जाती l यह रेखा भाग्य रेखा के समानांतर अनामिका उंगली के नीचे स्थित यह रेखा यश या घोटाले की ओर संकेत करती है।

  • यदि यह रेखा पुष्ट हो तो दर्शाता है के व्यक्ति आत्म विश्वासी, अच्छा प्रबंधक एवं क्रिएटिव होता है।
  • यदि यह रेखा टूटी हुई हो तो असफलता को दर्शाती है।
  • यदि सूर्य रेखा टूटी हुई हो या हथेली पर सूर्य रेखा ना हो तो यह अशुभ माना जाता है।
  • यदि सूर्य रेखा बीच में कहीं से टूटी हो तो यह मन हानि का संकेत है।
  • यदि सूर्य रेखा के ऊपर वर्ग का निशान हो तो यह मान सम्मान की सुरक्षा को दर्शाता है।
  • यदि सूर्य रेखा हाथ में ना हो तो सूर्य देव की उपवास और सूर्य देवता को जल चढ़ाना चाहिए।
  • यदि हथेली में सूर्य रेखा पर तिल हो तो को आर्थिक नुकसान होता है।
  • यदि सूर्य रेखा हाथ में टेढ़ी-मेढ़ी हो तो व्यक्ति के जीवन में आत्मविश्वास की कमी को दर्शाती है। ऐसे लोग चुनौतियां स्वीकार करने से हिचकिचाते हैं।
  • यदि सूर्य रेखा छोटी हो तो व्यक्ति बहुत सादा और साधारण जीवन व्यतीत करता है। उसे कड़ी मेहनत से सफलता प्राप्त होती है परन्तु उसका श्रेय उन्हें नहीं मिल पाता है।
  • यदि सूर्य रेखा पर स्टार का चिन्ह हो तो व्यक्ति जीवन में बड़ी-बड़ी उपलब्धियां हासिल करता है और बहुत धन अर्जित कर लेता है।
  • यदि कीसी व्यक्ति की सूर्य रेखा हृदय रेखा से शुरू होकर अनामिका के ठीक निचले हिस्से पर समाप्त हो तो ऐसे व्यक्ति का झुकाव कला के प्रति अधिक होता है। इनका भाग्य ४० साल के बाद जगता है।
  • यदि सूर्य रेखा हथेली के निचले हिस्से से शुरू होकर मध्य भाग में ही खत्म हो तो यह कम उम्र में ही मिलने वाली अप्रतिम सफलता और जीवन के मध्य में इसमें गिरावट की तरफ इशारा करती है।
  • जिन व्यक्तियों के हाथ में यह रेखा निर्दोष, गहरी एवं लम्बी होती है उनका जीवन भरपूर सफलताओं से भरा हुआ होता है और वह अपना जीवन राजाओं की तरह व्यतीत करते है।
  • यदि सूर्य रेखा व्यक्ति के हाथ में लम्बी, निर्दोष एवं गहरी हो तो जीवन भरपूर सफलताओं से भरा हुआ होता है और वह अपना जीवन राजाओं की तरह व्यतीत करता है।
  • यदि सूर्य रेखा मस्तिष्क रेखा से शुरू होकर अनामिका तक जाती है तो ऐसा व्यक्ति तेज दिमाग का स्वामी होता है। ऐसे व्यक्ति अपने आस-पास के लोगों के बीच बहुत जल्दी प्रसिद्धि पा लेता है।
  • यदि सूर्य रेखा जीवन रेखा से शुरू होकर अनामिक तक जाती है तो यह जीवन में अपर सफलता, ऐश्वर्य और प्रतिष्ठा प्रदान करती है। ऐसे व्यक्ति अपनी वाणी से प्रभावित करने वाले होते हैं और प्रसिद्ध लेखक के तौर पर स्थापित होते हैं।
  • यदि सूर्य रेखा विवाह रेखा की किसी शाखा या अंगुठे की तरफ जाए तो यह विवाह के बाद भाग्योदय के संकेत देता है।

 

स्वास्थ्य रेखा – Health Line :

यह कलाई के पास हथेली के नीचे से शुरू होती है और हथेली से होते हुए कनिष्का उंगली की ओर जाती है यह रेखा स्वास्थ्य, व्यापार, बुद्धि, एवं संचार में कौशल के बारे में बताती है।

  • स्वास्थ्य रेखा का दोष पूर्ण होना बीमारी के कारन अधिक परेशानियों के बारे में बताती है।
  • यदि यह रेखा सीधी और दोष रहित होती है उसका जीवन निरोग रहता है। वहीं यदि स्वास्थ्य रेखा ना हो तो बहुत शुभ माना जाता है।
  • स्वास्थ्य रेखा ना होने पर व्यक्ति का पूरा जीवन बीमारियों से रहित होता है और उसे आजीवन कोई बीमारी नहीं होती।
  • यदि स्वस्थ्य रेखा स्पष्ट और सीधी हो, हथेली में गुरु और सूर्य पर्वत ऊंचा हो और हथेली में पहाड़, तलवार और हल का चिन्‍ह दिखाई देता हो तो उस पर माता लक्ष्‍मी की कृपा सदैव बनी रहती है।

 

विवाह रेखा – Marriage Line :

विवाह रेखा कनिष्टका के निचले हिस्से में जिसे बुध पर्वत कहते हैं वहां होती हैं। यह रेखा १ से कई संखया में होती हैं। एक से अधिक विवाह रेखाओं के संदर्भ में वह रेखाएं मान्य होती है जो सबसे अधिक गहरी और स्पष्ट हो बाकि रेखाएं संबंधों के बिछड़ने या टूटने के संकेत देती है।

  • यद‍ि विवाह रेखा ऊपर की तरफ आती हुई हृदय रेखा से मिले तो शादी होने में बहुत कठिनाई होती है।
  • यद‍ि विवाह रेखा पर तिल हो या क्रॉस का निशान हो तो भी शादी होने में बहुत कठिनाई होती हैं।
  • यद‍ि विवाह रेखा स्वास्थ्य रेखा से स्पर्श हो जाये तो भी विवाह नहीं होता है।
  • यद‍ि विवाह रेखा पर एक से अधिक द्वीप चिन्ह हों तो यह जीवन भर अविवाहित होना दर्शाता है।
  • यद‍ि विवाह रेखा पर काला तिल हो तो यह अविवाहित होने का संकेत देता है।
  • यदि यह रेखा लम्बी और गहरी हो तो व्यक्ति रिश्ते को अहमियत देने वाला होता है।
  • यदि विवाह रेखा सूर्य रेखा को स्पर्श कर आगे बढ़ जाये तो प्राणी का विवाह अनमेल होता है।
  • यदि विवाह रेखा मस्तिष्क रेखा का स्पर्श करे तो वह व्यक्ति अपनी पत्नी का हत्यारा होता है।
  • यदि बुध पर्वत पर विवाह रेखा कई खण्डों में विभक्त हो जाए, तो बार-बार सगाई टूट जाती है।
  • यदि विवाह रेखा पर काला धब्बा होने पर प्राणी को पत्नी से सुख नहीं प्राप्त होता है।
  • यदि विवाह रेखा कनिष्ठिका अंगुली के दुसरे पर्व तक चली जाए तो वह व्यक्ति आजीवन कुंवारा रहता है।
  • यदी विवाह रेखा स्पष्ट तथा ललिमा लिए हुए है तो वैवाहिक जीवन बहुत ही सुखमय होता है।
  • यदि गुरू पर्वत पर जीवन रेखा के नज़दीक क्रॉस का चिन्ह हो तो व्यक्ति का विवाह शीघ्र ही होता है।
  • यदि विवाह रेखा में आकर या विवाह रेखा स्थल पर आकर कोई अन्य रेखा मिल रही हो तो प्रेमिका के कारण उसका गृहस्थ जीवन नष्ट होने की संभावना रहती है।
  • यदि विवाह रेखा के साथ-साथ दो-तीन रेखाएं चल रही हों तो व्यक्ति अपने जीवन में पत्नी के अलावा और भी स्त्रियों से सम्बन्ध रखता है या एक से अधिक विवाह का संकेत भी देती हैं।
  • यद‍ि अयदि गर दो विवाह रेखाएं हैं और एक स्पष्ट एवं बेहद गहरी और दूसरी महीन लेकिन बुध पर्वत तक विकसीत है तो यह जातक के जीवन में दो शादियों का संकेत देती है।
  • यदि यह रेखा शोटी या हलकी हो या टूटी हुई हो तो व्यक्ति अपने जीवन साथी के साथ सम्बन्ध को अधिक दिन तक नहीं चला पता है।
  • यदि व्यक्ति की विवाह रेखा पर दीप चिन्ह हो तो विवाह में रुकावट आ सकती है या विवाह सम्बन्धी किसी भी बात पर असहमति बन सकती है।
  • यद‍ि किसी व्यक्ति की विवाह रेखा दो भागों में बंट जाए और एक शाखा हृदय रेखा को छुए तो किसी के साथ विवाह जैसा संबंध स्थापित हो सकता है।
  • यदि किसी व्यक्ति के शु्क्र पर्वत पर दीप चिन्ह हो और उसमें से एक रेखा निकलकर बुध पर्वत पर जाकर समाप्‍त हो तो ऐसी स्थिति में भी विवाह जैसा संबंध स्थापित हो सकता है
  • यदि कोई दूसरी रेखा विवाह रेखा से आकर मिले तो वैवाहिक जीवन में कुछ कष्‍ट आने की आशंका रहती है। यदि विवाह रेखा के बीच में कोई रुकावट, काला धब्‍बा या धुंधलापन हो तो पत्‍नी का प्रेम पर्याप्‍त नहीं मिल पाता है।
  • यद‍ि व्यक्ति की विवाह रेखा आगे चलकर दो भागों में बंट जाए तो पति-पत्‍नी में अलगाव हो सकता है लेकिन यह जरूरी नहीं है कि तलाक हो, परन्तु यह रेखा अगर कई भागों में बंट जाए तो प्रेम संबंध अधिक दिनों तक टिक नहीं पाएगा।
  • यदि विवाह रेखा आगे से दो भागों में बंटी हो और भाग्यरेखा पर द्वीप चिन्ह बना हो। इनके साथ अगर अंगूठा अधिक मोटा हो तो यह पति-पत्नी के बीच तालमेल की कमी को दर्शाता है। ऐसे में पति-पत्नी के बीच संबंध विच्छेद भी हो सकता है।
  • यदि यह रेखा आरंभ में गहरी और आगे चलकर पतली हो तो ऐसे व्यक्ति का प्यार धीर-धीरे उदासीनता में बदल जाता है। ऐसे व्यक्तियों को अपने जीवनसाथी के साथ अधिक से अधिक समय व्‍यतीत करने की आवश्‍यकता होती है ताकि दोनों में संबंधों में कड़वाहट न आने पाए।

 

संतान रेखा – Children Line :

संतान रेखाएं विवाह रेखा के ठीक ऊपर की तरफ होती हैं। वहीं मौजुद यह रेखाएं संतान रेखा कहलाती हैं। संतान प्राप्ति के योगों को कई अन्य रेखाएं भी प्रभावित करती हैं जैसे मणिबंध रेखा और अंगुठे के नीचे पाई जाने वाली छोटी रेखा आदि।

  • अस्पष्ट और टूटी रेखाएं बच्चें के स्वास्थ्य को प्रभावित करती हैं।
  • यदि पहली मणिबंध रेखा का झुकाव कलाई की तरफ है और वह हथेली में प्रविष्ट होती दिखे तो इसका अर्थ है जातक को संतान प्राप्ति में दुख होंगे।
  • यदि हथेली में बुध पर्वत अधिक उभरा हुआ हो और संतान रेखा भी स्पष्ट हैं तो आपके चार पुत्र और तीन कन्या संतान होने की जानकारी देती हैं । यह सरे बच्चे गुणवान एवं संस्कारी होंगे।
  • यदि हथेली में संतान रेखा अध‌िक उभरी और स्पष्ट हो तो व्यक्त‌ि को उसकी संतान से अध‌िक स्नेह और सुख म‌िलता है। इसी कारन से व्यक्त‌ि का क‌िसी खास संतान से अध‌िक लगाव होता है और उनसे सुख भी म‌िलता है।
  • यदि किसी पुरुष की हथेली में संतान रेखा नहीं है तो इसका मतलब यह नहीं क‌ि उनकी संतान नहीं होगी। यदि पत्नी की हथेली में संतान रेखा है तो संतान सुख मिलता है लेक‌िन संभव है क‌ि बच्चों का लगाव मां से अध‌िक होता है।
  • यदि पति पत्नी दोनों के हाथ में संतान रेखा स्पष्ट हो तो जातक बच्चों को बहुत प्यार करता है और उसका स्वभाव बहुत ही स्नेही होता है।
  • यदि रेखा के पतले भाग में द्वीप का चिन्ह हो तो संतान आरम्भ में निर्बल होगी, लेकिन बाद में यही रेखा स्पष्ट हो तो स्वस्थ्य हो जायेगें।
  • यदि संतान रेखा के अन्त में द्वीप का चिन्ह हो तो बच्चा जीवित नहीं रहता है।
  • यदि हृदय रेखा बुध क्षेत्र पर दो या तीन रेखाओं में विभाजित होकर शाखा स्पष्ट हो तो वह व्यक्ति संतान युक्त होता है।
  • यदि विवाह रेखा पर खड़ी और सीधी रेखाएं हों तो स्वस्थ पुत्र और टेढ़ी-मेढ़ी कमजोर रेखा पुत्री का संकेत देती है।

 

मणिबंध रेखा – Bracelet Line :

यह रेख व्यक्ति कलाई पर होती है। इसका आकर एक ब्रेसलेट की तरह होता है। इनकी संखया १ से तीन तक हो सकती है। इस रेखा से स्वस्थ्य, आर्थिक स्थिति, मन सम्मान, सुख अदि की जानकारी प्राप्त होती है।

  • यदि ब्रेसलेट रेखा टूटी हुई हो तो इससे यह ज्ञात होता है के व्यक्ति अपने स्वस्थ्य के प्रति सतर्क नहीं है।
  • यदि यह रेखा संखया में १ हो और दोष रहत हो तो व्यक्ति का संपूर्ण जीवन निरोगी रहता है।
  • यदि यह रेखा संखया में २ हो तो व्यक्ति आर्थिक रूप से संपन्न और सुखी होता है।
  • यदि कोई रेखा मणिबंध रेखा से निकलकर चन्द्र पर्वत की तरफ जाए जीवन में विदेश यात्रा के योग बनते हैं।
  • यदि यह रेखा संखया में ३ हों तो व्यक्ति का समाज में बहुत मान सम्मान होता है और वह समाज में आदरणीय रूप से स्थापित होता है।
  • यदि दो या चार मणिबंध रेखाएं हों तो व्यक्ति की प्रथम संतान कन्या और विषम जैसे एक और तीन मणिबंध रेखाएं प्रथम संतान के पुत्र होने का संकेत देती हैं।
  • यदि दो मणिबंध रेखाएं आपस में मिल जाएं, तो व्यक्ति को बार बार दुर्भाग्य का सामना करना परता है। दुर्घटना से शरीर के किसी भी अंग का नुकसान हो सकता है।
  • यदि कलाई पर एक मणिबंध रेखा हो तो यह २५ वर्ष की आयु को दर्शाती है। इसी तरह दो हो तो जातक की आयु ५०, तीन हो तो ७५ और अगर चार मणिबंध रेखा हो तो जातक बेहद सफल, संपन्न और दीर्घायु होता है ।

 

यात्रा रेखा – Travel Line :

ये रेखाएं चंद्र पर्वत के पास कलाई और दिल की रेखा के बीच हथेली के किनारे को छूती है, प्रत्येक रेखा व्यक्ति की यात्रा को दर्शाती है यानी जितनी रेखा लंबी होगी तो व्यक्ति की यात्रा भी उतनी ही ज्यादा महत्वपूर्ण होगी ।

  • यदि कोई रेखा कलाई से चन्द्र पर्वत पर जाये तो यह विदेश यात्रा को दर्शाती है।
  • यदि यात्रा रेखा पर वर्ग का चिन्ह हो तो भी व्यक्ति विदेश जाकर बसता है।
  • यदि यात्रा रेखा निर्दोष और लंबी हो तो उसकी विदेश से धन अर्जित कमाने की इच्छा पूरी होती है।
  • यदि यात्रा रेखाएं दोषपूर्ण हों तो अड़चनें और परेशानियां बताती हैं।
  • यदि जीवन रेखा से निकलकर कोई रेखा चन्द्र पर्वत जाये तो व्यक्ति विदेश में व्यापार या नौकरी करता है। लेकिन जीवन के अंत समय में अपने देश में वापस आ जाता है।

 

हथेली पर विभिन्न चिन्हों का महत्व – Significance of other Marks on Palm :

स्वास्तिक – स्वास्तिक का चिन्ह व्यक्ति को धनी, प्रतिष्ठित, धार्मिक यात्राएं करने वाला एवं वैभव सम्पन्न बनता है।
पद्म पद्म का चिन्ह व्यक्ति को धार्मिक, विजयी, राजा या राज वैभव सम्पन्न एवं शाक्तिशाली बनता है।
षट्कोण – षटकोण का चिन्ह व्यक्ति को धनी एवं भूमिपति बनता है।
शंख – शंख चिन्ह व्यक्ति को समुद्र पर की यात्राएं, विदेश गमन के व्यापार से धन कामना, धार्मिक विचारों वाला बनता है।
त्रिकोण – त्रिकोण का चिन्ह व्यक्ति को भूमिपति, धनी एवं प्रतिष्ठित बनता है।
तलवार – तलवार का चिन्ह व्यक्ति को भाग्यवान एवं राजाओं से सम्मानित करवाता है।
छत्र – छत्र का चिन्ह व्यक्ति को राजा या राजा के समान बनता है।
चक्र – चक्र के चिन्ह व्यक्ति को धनवान, वैभवशाली, सुंदर एवं ऐश्वर्यशाली बनता है।
कलश – कलश का चिन्ह व्यक्ति को मंदिरों का निर्माता, तीर्थ यात्रा करने वाला एवं विजयी बनता है।
मछली – मछली क चिन्ह व्यक्ति को यज्ञकर्ता बनता है।
ध्वज – ध्वज का चिन्ह व्यक्ति को धार्मिक, कुलदीपक, यशस्वी एवं प्रतापी बनता है।
क्राॅस – क्राॅस का चिन्ह व्यक्ति को सुख से वंचित रखता है, लिवर एवं पथरी की बीमारी देता है।
नक्षत्र – नक्षत्र का चिन्ह व्यक्ति को श्रेष्ठ मानवीय गुण, दाम्पतय सुख में कमी, लकवाग्रस्त एवं उन्नति प्रदान करता है।
त्रिशूल – त्रिशूल का चिन्ह हर स्थिति में उन्नति का करक एवं शुभ फल दाई होता है।

 

हस्तरेखा एवं कार्य क्षेत्र – Palmistry and work area :

हस्त रेखा शास्त्र द्वारा रोजगार का चयन कर जीवन में सफलता प्राप्त की जा सकती है। किन्तु सर्वप्रथम हमें यह जान लेना आवश्यक है कि हमें किस व्यवसाय में सफलता प्राप्त होगी।
अंगुलियों के पहले पोरे लम्बे एवं सबल हों तो व्यक्ति उच्च शिक्षा ग्रहण करने में सफल होता है। यदि अगुंलियों के दूसरे पोरे लम्बे और सबल हैं तो व्यक्ति प्रैक्ट्रिकल फील्ड में सफलता प्राप्त करता है। यदि तीसरा पोरा लम्बा और ज्यादा सबल है तो व्यक्ति उत्पादन, व्यापार या व्यवसाय के क्षेत्र में अधिक सफलता प्राप्त करता है। सर्वप्रथम व्यक्ति को यह जान लेना जरूरी है कि भाग्य किस ग्रह द्वारा संचालित है यानी हाथ में कौनसा पर्वत क्षेत्र ज्यादा प्रभावी है। उसके स्वामी द्वारा ही व्यक्ति का जीवन ज्यादा प्रभावित रहता है।

शनि – तेल, तंत्र, धर्म, रसायन, जासूसी, भौति की, मशीनरी, गणित, कृषि, पशुपालन, अनगढ़ कलाकृतियां अदि ।
शुक्र – कला, चित्रकारी, संगीत, नाटक, महिला विभाग, हस्तशिल्प, कम्प्यूटर, पयर्टन आदि।
चन्द्र कला, काव्य, तैराक, जलीय व्यवसाय, तरल वस्तुएं अदि।
बृहस्पति – सलाहकार, कर विभाग, राजनीति, सेना, सामाजिक संगठनों, अध्यापन, धर्म क्षेत्र, कानूनी क्षेत्र अदि।
सूर्य – कला, प्रशासन, साहित्य अदि।
मंगल – खिलाड़ी, साहसी कार्य, पर्वतरोहण, अन्वेषण खोज, खतरों से भरे कार्य, डॉक्टर, सैनिक, पुलिस, जंगली क्षेत्र अदि।
बुध – इनडोर गेम्स, बोलने से जुड़े व्यवसाय, मार्केटिंग, विज्ञान, व्यापार, वकालत, चिकित्सा क्षेत्र, बैंक आदि।