जानिए क्या है विषकन्या योग (Janiye Kya Hai Vishkanya Yog)
ज्योतिष में कई ऐसे अशुभ योगों के बारे में विस्तार से बतया गया है जो राजयोग के मिलने वाले फल में न्यूनता ला देते हैं या सम्पूर्ण समाप्त कर देने में समर्थ होते हैं। अगर कुंडली विशेषज्ञ को इन अशुभ योगों से मिलने वाले परिणामों का उचित ज्ञान नहीं होगा तो जातक के भविष्य का सटीक विश्लेषण नहीं नहीं हो सकता। कुंडली में यह अशुभ योग हमारे एवं पूर्वजों के किये हुए कर्म ही होते हैं। मुझसे यह प्रश्न कई लोग पूष चुके हैं के जो कर्म पूर्वजों ने किये हैं उनका फल हमें क्यूं ? प्रिये मित्रों जैसे हमारे पूर्वजों का धन, दौलत, जमीन, जायदाद अदि बिना परिश्रम हमें मिल जाती है वैसे ही उनके कर्मों का फल भी हमें चुकाना परता है। ज्योतिषी कुंडली में कुछ अशुभ योगों को नजरअंदाज कर देते हैं जिस कारण राजयोग फलित नहीं हो रहे होते और ज्योतिष विद्या पर संशय होता है। इसलिए राजयोग के साथ साथ कुंडली के कुयोगों पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है।
स्त्री की कुंडली में सबसे घातक योग है विषकन्या योग। यह अशुभ योग स्त्री की कुंडली में बनता है। यह योग स्त्री के विवाहिक जीवन को नष्ट करने में समर्थ होता है। जिस कन्या की कुंडली में यह योग बनता है उसका सारा जीवन संघर्षों में व्यतीत होता है। उसका दाम्पत्य जीवन के साथ साथ संतान सुख की भी कमी रहती है। जातिका को सम्पति की भी हानि उठानी पड़ती । विषकन्या योग से पीड़ित जातिका के संपर्क में जो भी लोग आते हैं उनका जीवन अस्त व्यस्त हो जाता है और दुर्भाग्य उनको समेट लेता है। जातिका अपने माता पिता भाई बहन के साथ साथ ससुराल वालों के लिए भी कष्टकारी होती है। विषकन्या योग में उत्पन्न जातिका गुस्सैल तथा बुरे वार्ताव वाली होती हैं और उनके पति उनको पसंद नहीं करते। आइए जानते हैं एक स्त्री की कुंडली में कब बनता है विषकन्या योग।
- यदि स्त्री की कुंडली में शनि लग्न में , सूर्य पंचम् भाव में व मंगल नवम् भाव में स्थित हो तो ‘विषकन्या’ योग बनता है।
- यदि स्त्री की कुंडली में लग्न व केन्द्र में पाप ग्रह हों व समस्त शुभ ग्रह शत्रु क्षेत्री या षष्ठ, अष्टम व द्वादश स्थानों में हो तो विषकन्या योग बनेगा।
- यदि स्त्री की कुंडली में सप्तम स्थान में पापी व क्रूर ग्रह बैठे हों और उन पर क्रूर अथवा पापी ग्रहों की दृष्टि भी पड़ रही हो, तो विषकन्या योग बनेगा।
- यदि किसी स्त्री का जन्म अश्लेषा तथा शतभिषा नक्षत्र, दिन रविवार, द्वितीया तिथि को हो।
- यदि किसी स्त्री का जन्म कृतिका अथवा विशाख़ा अथवा शतभिषा नक्षत्र दिन रविवार, द्वादशी तिथि को हो।
- यदि किसी स्त्री का जन्म अश्लेषा अथवा विशाखा अथवा शतभिषा नक्षत्र, दिन मंगलवार, सप्तमी तिथि को हो।
- यदि किसी स्त्री का जन्म अश्लेषा नक्षत्र, दिन शनिवार, द्वितीया तिथि को हो।
- यदि किसी स्त्री का जन्म शतभिषा नक्षत्र, दिन मंगलवार, द्वादशी तिथि को हो।
- यदि किसी स्त्री का जन्म कृतिका नक्षत्र, दिन शनिवार, सप्तमी या द्वादशी तिथि को हो।
- यदि स्त्री की कुंडली में छठे स्थान में एक पाप ग्रह और दो शुभ ग्रह हों तो यह विषकन्या योग बनाता है।
विषकन्या योग में पैदा हुई जातिका की शादी से पहले ही उसके उपाए करने अति आवश्यक हैं। विषकन्या योग में उत्पन जातिका को कभी भी किसी को भी मीठा भोजन, मिष्ठान, चाय अदि जो मीठा हो अपने हाथों से न दे। यहाँ तक के भगवन को भोग भी देना वर्जित होता है। अगर विषकन्या योग से पीड़ित जातिका किसी को भी मीठा अपने हाथों से दे तो वह उस जातिका का शत्रु बन जाता है, चाहे वह भगवन ही क्यों न हो। विष कन्या योग वाली जातिका मीठा बना कर किसी ओर के हाथ से किसी को भी दे या भगवन को भोग लगाए तो दोष नहीं लगेगा।
यदि स्त्री की कुंडली में विषकन्या योग है, परंतु जन्म लग्न या चन्द्र लग्न से सप्तम भाव में सप्तमेश या शुभ ग्रह हो तो ‘विषकन्या’ जनित दोष दूर हो जाता है। सप्तमेश शुभ स्थिति में हो और सप्तम भाव गुरु से दृष्टि हो तो ‘विषकन्या दोष’ दूर होता है परंतु विषकन्या योग में उत्पन्न कन्या की शांति करवाना परम आवश्यक है।
प्रिये मित्रों अपनी कुंडली में सर्व दोषों के स्थाई निवारण हेतु हमसे संपर्क करें।
संपर्क सूत्र : kalkajyotish@gmail.com
आपको यह जानकारी कैसी लगी कृपया मैसेज कर हमें बताएं
ज्योतिष आचार्या
ममता वशिष्ट
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
कालका ज्योतिष अनुसन्धान संसथान
muje meri kundli chck krani hai.
please mail kalkajyotish@gmail.com
I want to check my kundali