क्या कहती है आपकी विवाह रेखा (Kya Kehti Hai Aapki Vivah Rekha-Marriage Line)

          विवाह रेखा कनिष्टका के निचले हिस्से में जिसे बुध पर्वत कहते हैं वहां होती हैं। यह रेखा १ से कई संखया में होती हैं। एक से अधिक विवाह रेखाओं के संदर्भ में वह रेखाएं मान्य होती है जो सबसे अधिक गहरी और स्पष्ट हो बाकि रेखाएं संबंधों के बिछड़ने या टूटने के संकेत देती है।

  • यद‍ि विवाह रेखा ऊपर की तरफ आती हुई हृदय रेखा से मिले तो शादी होने में बहुत कठिनाई होती है।
  • यद‍ि विवाह रेखा पर तिल हो या क्रॉस का निशान हो तो भी शादी होने में बहुत कठिनाई होती हैं।
  • यद‍ि विवाह रेखा स्वास्थ्य रेखा से स्पर्श हो जाये तो भी विवाह नहीं होता है।
  • यद‍ि विवाह रेखा पर एक से अधिक द्वीप चिन्ह हों तो यह जीवन भर अविवाहित होना दर्शाता है।
  • यद‍ि विवाह रेखा पर काला तिल हो तो यह अविवाहित होने का संकेत देता है।
  • यदि यह रेखा लम्बी और गहरी हो तो व्यक्ति रिश्ते को अहमियत देने वाला होता है।
  • यदि विवाह रेखा सूर्य रेखा को स्पर्श कर आगे बढ़ जाये तो प्राणी का विवाह अनमेल होता है।
  • यदि विवाह रेखा मस्तिष्क रेखा का स्पर्श करे तो वह व्यक्ति अपनी पत्नी का हत्यारा होता है।
  • यदि बुध पर्वत पर विवाह रेखा कई खण्डों में विभक्त हो जाए, तो बार-बार सगाई टूट जाती है।
  • यदि विवाह रेखा पर काला धब्बा होने पर प्राणी को पत्नी से सुख नहीं प्राप्त होता है।
  • यदि विवाह रेखा कनिष्ठिका अंगुली के दुसरे पर्व तक चली जाए तो वह व्यक्ति आजीवन कुंवारा रहता है।
  • यदी विवाह रेखा स्पष्ट तथा ललिमा लिए हुए है तो वैवाहिक जीवन बहुत ही सुखमय होता है।
  • यदि गुरू पर्वत पर जीवन रेखा के नज़दीक क्रॉस का चिन्ह हो तो व्यक्ति का विवाह शीघ्र ही होता है।
  • यदि विवाह रेखा में आकर या विवाह रेखा स्थल पर आकर कोई अन्य रेखा मिल रही हो तो प्रेमिका के कारण उसका गृहस्थ जीवन नष्ट होने की संभावना रहती है।
  • यदि विवाह रेखा के साथ-साथ दो-तीन रेखाएं चल रही हों तो व्यक्ति अपने जीवन में पत्नी के अलावा और भी स्त्रियों से सम्बन्ध रखता है या एक से अधिक विवाह का संकेत भी देती हैं।
  • यद‍ि अयदि गर दो विवाह रेखाएं हैं और एक स्पष्ट एवं बेहद गहरी और दूसरी महीन लेकिन बुध पर्वत तक विकसीत है तो यह जातक के जीवन में दो शादियों का संकेत देती है।
  • यदि यह रेखा शोटी या हलकी हो या टूटी हुई हो तो व्यक्ति अपने जीवन साथी के साथ सम्बन्ध को अधिक दिन तक नहीं चला पता है।
  • यदि व्यक्ति की विवाह रेखा पर दीप चिन्ह हो तो विवाह में रुकावट आ सकती है या विवाह सम्बन्धी किसी भी बात पर असहमति बन सकती है।
  • यद‍ि किसी व्यक्ति की विवाह रेखा दो भागों में बंट जाए और एक शाखा हृदय रेखा को छुए तो किसी के साथ विवाह जैसा संबंध स्थापित हो सकता है।
  • यदि किसी व्यक्ति के शु्क्र पर्वत पर दीप चिन्ह हो और उसमें से एक रेखा निकलकर बुध पर्वत पर जाकर समाप्‍त हो तो ऐसी स्थिति में भी विवाह जैसा संबंध स्थापित हो सकता है
  • यदि कोई दूसरी रेखा विवाह रेखा से आकर मिले तो वैवाहिक जीवन में कुछ कष्‍ट आने की आशंका रहती है। यदि विवाह रेखा के बीच में कोई रुकावट, काला धब्‍बा या धुंधलापन हो तो पत्‍नी का प्रेम पर्याप्‍त नहीं मिल पाता है।
  • यद‍ि व्यक्ति की विवाह रेखा आगे चलकर दो भागों में बंट जाए तो पति-पत्‍नी में अलगाव हो सकता है लेकिन यह जरूरी नहीं है कि तलाक हो, परन्तु यह रेखा अगर कई भागों में बंट जाए तो प्रेम संबंध अधिक दिनों तक टिक नहीं पाएगा।
  • यदि विवाह रेखा आगे से दो भागों में बंटी हो और भाग्यरेखा पर द्वीप चिन्ह बना हो। इनके साथ अगर अंगूठा अधिक मोटा हो तो यह पति-पत्नी के बीच तालमेल की कमी को दर्शाता है। ऐसे में पति-पत्नी के बीच संबंध विच्छेद भी हो सकता है।
  • यदि यह रेखा आरंभ में गहरी और आगे चलकर पतली हो तो ऐसे व्यक्ति का प्यार धीर-धीरे उदासीनता में बदल जाता है। ऐसे व्यक्तियों को अपने जीवनसाथी के साथ अधिक से अधिक समय व्‍यतीत करने की आवश्‍यकता होती है ताकि दोनों में संबंधों में कड़वाहट न आने पाए।

 

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ज्योतिष आचार्या
ममता वशिष्ट
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
कालका ज्योतिष अनुसन्धान संसथान

 

 

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