संतान प्राप्ति के उपाए भाग-१ (Santan Prapti Ke Upaye Part-1)

  • संतान प्राप्ति के लिए पति-पत्नी दोनों को रामेश्वरम् यात्रा करके वहां सर्प-पूजन करवाने से संतान-दोष समाप्त होता है।
  • माता बनने की इच्छुक महिला को चाहिए गुरुवार के दिन गेंहू के आटे की 2 पिन्नी बनाकर उसमें भीगी चने की दाल और थोड़ी सी हल्दी मिलाकर नियमपूर्वक गाय को खिलाएं।
  • पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र में आम की जड़ को लाकर उसे दूध में घिसकर स्त्री को पिलाएं यह संतान प्राप्ति का सिद्ध एंवम परीक्षित प्रयोग है।
  • माता बनने की इच्छुक महिला को रोजाना पारद शिवलिंग के दूध से अभिषेक करने से उत्तम संतान की प्राप्ति होगी।
  • दंपति गुरुवार का व्रत रखें, पीले वस्त्र धारण करें, पीली वस्तुओं का दान करें और पीला भोजन ही करें।
  • हर बृहस्पतिवार को भिखारियों को गुड़ का दान देने से भी संतान सुख प्राप्त होता है।
  • रविवार को छोड़कर अन्य सभी दिन निसंतान स्त्री यदि पीपल पर दीपक जलाए और उसकी परिक्रमा करते हुए संतान की प्रार्थना करें तो उसकी इच्छा शीघ्र ही पूरी होगी।
  • पहली बार ब्याही गाय के दूध के साथ नागकेसर के चूर्ण का लगातार ७ दिन सेवन करने से पुत्र संतान की प्राप्ति होता है।
  • शुक्ल पक्ष में बरगद के पत्ते को साफ करके उस पर कुंकुम से स्वस्तिक बनाकर उस पर थोड़े से चावल और एक सुपारी रखकर सूर्यास्त से पहले किसी मंदिर में अर्पित कर दें और प्रभु से संतान का वरदान देने के लिए प्रार्थना करें निश्चय ही संतान की प्राप्ति होगी।
  • श्वेत लक्ष्मणा बूटी की २१ गोली बनाकर उसे नियमपूर्वक गाय के दूध के साथ लेने से संतान प्राप्ति का प्रबल योग बनता है।
  • उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र में नीम की जड़ लाकर सदैव अपने पास रखने से निसंतान दम्पति को संतान सुख अवश्य प्राप्त होता है।
  • नींबू की जड़ को दूध में पीसकर उसमे शुद्ध देशी घी मिला कर सेवन करने से पुत्र प्राप्ति की संभावना बड़ जाती है।
  • यदि विवाह के दस या बारह वर्ष बाद भी संतान न हो, तो मदार की जड़ को शुक्रवार को उखाड़ कर उसे कमर में बांधने से स्त्री अवश्य ही गर्भवती हो जाएगी।
  • यदि बच्चे न होते हों या होते ही मर जाते हों, तो मंगलवार के दिन मिट्टी की हांडी में शहद भरकर श्मशान में दबायें।
  • गुरुवार के दिन पीले धागे में पीली कौड़ी को कमर में बांधने से संतान प्राप्ति का प्रबल योग बनता है।
  • मुंग की दाल और सवि (सांवा) का भात खाने से बांझ पन दूर होता है और पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
  • स्त्री में कमी के कारण संतान होने में बाधा आ रही हो, तो स्त्री को लाल गाय व बछड़े की सेवा करनी चाहिए। लाल या भूरा कुत्ता पालना अति शुभ रहता है।
  • गर्भ का जब तीसरा महीना चल रहा हो तो गर्भवती स्त्री को शनिवार को थोडा सा जायफल और गुड़ मिलाकर खिलाने से अवश्य ही पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी।
  • पुराने चावल को धोकर भिगो दें बनाने से पहले उसके पानी को अलग करके उसमें नीबूं की जड़ को अच्छी तरह से पीसकर उस पानी को स्त्री पी कर अपने पति से सम्बन्ध बनाये वह स्त्री उत्तम कन्या को जन्म देगी।
  • जिन स्त्रियों के सिर्फ कन्या ही होती है, उन्हें शुक्र मुक्ता पहना दी जाये, तो एक वर्ष के अंदर ही पुत्र-रत्न की प्राप्ति होगी।
  • जब गर्भ धारण हो गया हो, तो चांदी की एक बांसुरी बनाकर राधा-कृष्ण के मंदिर में पति-पत्नी दोनों गुरुवार के दिन चढ़ायें तो गर्भपात का भय नहीं होता।
  • यदि बार-बार गर्भपात होता है, तो शुक्रवार के दिन एक गोमती चक्र लाल वस्त्र में सिलकर गर्भवती महिला के कमर पर बांध दें।

 

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ज्योतिष आचार्या
ममता वशिष्ट
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
कालका ज्योतिष अनुसन्धान संसथान

 

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