जानिए कुंडली में विदेश यात्रा के योग (Janiye Kundli Mein Videsh Yarta Ke Yog)

          अधिकतर लोग विदेश में घूमना या जीवन व्यतीत करने ने इच्छुक होते हैं। उनमें से कुछ तो विदेश से अच्छा धन कमाते हैं परन्तु कुच्छ घटा खा कर वापिस आते हैं। विदेश यात्रा से हानि होगी या लाभ यह हमारी कुंडली में ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है। कुंडली में ग्रहों के शुभ योग विदेश की सुखद यात्रा या धन कमाने में सहयोगी होते हैं। विदेश यात्रा के लिए करक ग्रह चंद्रमा, बृहस्पति, शुक्र, शनि एवं राहु हैं।
ज्योतिष के अनुसार विदेश यात्रा या विदेश में नौकरी, रोज़गार अदि का विचार करते समय यह तथ्य ध्यान में रखें जाते हैं। नवें भाव से लंबी यात्रा देखी जाती है। द्वादश भाव विदेश यात्रा तथा समुद्री यात्रा का कारक होता है। सप्तम भाव व्यावसायिक यात्रा का कारक होता है। अष्टम भाव जल अथवा समुद्री यात्रा का कारक होता है। तृतीय भाव छोटी यात्राओं का कारक होता है। समुद्र से विदेश यात्रा हेतु चंद्रमा और बृहस्पति को देखा जाता है। एयरप्लेन से विदेश यात्रा हेतु शनि व राहु को देखा जाता है। आइए जानते हैं विदेश यात्रा के कुछ विशेष योग :

  • यदि चन्द्र बलिष्ट या उच्च का हो तो जातक आसानी से विदेश जाता है और लम्बी विदेश यात्रायें करता है।
  • यदि चन्द्र नीच है तो जातक को विदेश जाने में परेशानी होती है या विदेश में मन नहीं लगता है।
  • यदि केतु सूर्य से छठे, आठवें या बारहवें स्थान में हो, तो सूर्य की दशा और केतु की भुक्ति में जातक विदेश जाता है।
  • कुंडली में सूर्य, चन्द्र, मंगल, बुध, गुरु और राहु केतु ग्रह ये बताते हैं कि आप किस उद्देश्य से विदेश जायगे।
  • यदि दसवें व बाहरवें भाव या उनके स्वामियों का संबंध हो तो जातक विदेश में व्यापार या नौकरी के लिए जाता है।
  • यदि चंद्र एकादश भाव में हो तो जातक प्रेम विवाह करता है और विदेश में रहता है।
  • चतुर्थ और नवम भाव का संबंध जातक को पिता के व्यापार के कारण या पिता के धन की सहायता से विदेश ले जा सकता है।
  • यदि कुंडली में सूर्य उच्च का हो तो जातक विदेश में मान सम्मान दिलाता है परन्तु नीच सूर्य वाले जातक को विदेश मे दंड मिलता है।
  • नवम व बाहरवें भाव का संबंध व्यक्त‌ि को व्यापार या धार्मिक यात्रा के लिए विदेश ले जा सकता है।
  • यदि कुंडली में मंगल उच्च का हो तो जातक विदेश में बसता है और स्वदेश भी आता है।
  • राहु व चंद्र का योग किसी भी भाव में हो जातक को अपनी दशा में विदेश या जन्म स्थान से दूर ले कर जा सकता है।
  • मेष, सिंह, वृश्चिक राशि/ लगन वाले जातक विदेश आते जाते रहते हैं।
  • यदि बुध ग्राह उच्च का हो तो जातक व्यापार के लिए विदेश जाता है।
  • यदि बुध ३, १२वें भाव या चन्द्र से सम्बन्ध बनाये तो जातक विदेश मे हानि के योग बन सकते है।
  • यदि सातवें व बाहरवें भाव या उनके स्वामियों का परस्पर संबंध हो तो जातक को विवाह के बाद विदेश लेकर जाता है
  • यदि गुरु ग्रह उच्च का हो तो यातक शिक्षा, परोपकार या शांति के लिए विदेश जाता है।
  • यदि चन्द्र शुक्र युति हो तो जातक अवश्य ही विदेश घूमने जाता है।
  • यदि कुंडली में नवमेश, द्वादशेश अथवा सप्तमेश का प्रभाव,चौथा भाव और तीसरे भाव पर रहेगा तो विदेश यात्रा होगी।
  • यदि सप्तमेश, द्वादशेश या नवमेश का प्रभाव चौथा भाव पर पड़े तो जातक विदेश निवास करता है। अगर इन सब पर राहु और शुक्र का प्रभाव भी रहे तो विदेश निवास की संभावनाएं अधिक रहेगी ।
    इन सब योगों के साथ-साथ कुंडली में अच्छी दशा होना अनिवार्य है अन्यथा यह योग या तो फलीभूत नहीं होते या फिर जातक को विदेश जाने पर हानि व अपमान का सामना करना पड़ता है।

 

प्रिये मित्रों अपनी कुंडली में सर्व दोषों के स्थाई निवारण हेतु हमसे संपर्क करें।
संपर्क सूत्र : kalkajyotish@gmail.com

 

आपको यह जानकारी कैसी लगी कृपया मैसेज कर हमें बताएं

ज्योतिष आचार्या
ममता वशिष्ट
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
कालका ज्योतिष अनुसन्धान संसथान

2 thoughts on “जानिए कुंडली में विदेश यात्रा के योग (Janiye Kundli Mein Videsh Yarta Ke Yog)

  1. Meri kundli toh aapke pass he Didi ji jra batiye dekh kr k mera foreign ka kaam kaisa rehga successful ho jayega . ho jayegi meri permanent setting wahan pr

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *